जुलाई 2022 | Unique Study Point

 Important Scientific Laws and Theories

1. आरकिमेड्स प्रिंसिपल (सिद्धांत) - यह बताता है कि जब एक बॉडी को पूरी तरह या आंशिक रूप से एक तरल में डुबोया जाता है, वह ऊपर की ओर थ्रस्ट (जोर) का अनुभव करती है जो इसके द्वारा हटाये गए तरल के वज़न के बराबर होता है। इसलिए, शरीर को अपने वजन का एक हिस्सा जैसे खो गया हो लगता है। वजन में यह कमी बॉडी द्वारा हटाये गए तरल के वजन के बराबर होती है।

2. ऑफबौ प्रिंसिपल - यह बताता है कि एक अनउतेजित परमाणु में, इलेक्ट्रॉनस उनके लिए उपलब्ध सबसे कम ऊर्जा वाले ऑर्बिटल में रहते है।

3. आवोगाड्रो लॉ - यह बताता है कि तापमान और प्रेशर की सामान परिस्थितियों में सभी गैसों की बराबर मात्रा में, मॉलिक्यूल्स की बराबर संख्या होती है।

4. ब्राउनियन मोशन - यह छोटे ठोस कणों द्वारा प्रदर्शित किया जाने वाला टेढ़ा-मेढ़ा, अनियमित मोशन है जो उन्हें तरल या गैस में डालने पर तरल या गैस के मॉलिक्यूल द्वारा अनियमित बमबारी की वजह से होता है।

5. बरनॉली प्रिंसिपल -
यह बताता है कि जब बहता हुआ तरल पदार्थ, तरल या गैस, की गति बढ़ जाती है, तो तरल पदार्थ के भीतर का प्रेशर कम हो जाता है। एक हवाई जहाज के पंख पर एरोडायनेमिक (वायुगतिकीय) लिफ्ट के हिस्से को भी इस सिद्धांत से समझाया जा सकता है।

6. बोयल्स लॉ - यह बताता है कि यदि तापमान स्थिर रहे, तो दिए गए गैस के मास का वॉल्यूम गैस के प्रेशर के विपरीत रूप से आनुपातिक होता है। इसलिए, पी.वी = के (स्थिर) जहाँ पी = प्रेशर और वी = वॉल्यूम हैं।

7. चार्ल्स लॉ - यह बताता है कि यदि प्रेशर स्थिर रहे, तो दिए गए गैस के मास का वॉल्यूम, तापमान में प्रत्येक डिग्री सेल्सियस की वृद्धि या गिरावट के साथ, 0 डिग्री सेल्सियस पर उसके वॉल्यूम के 1/273 हिस्से से बढ़ता या घटता है।

8. कोलम्ब लॉ - यह बताता है कि दो चार्जों के बीच का आकर्षण या प्रतिकर्षण का फ़ोर्स, दोनों चार्जों पर चार्ज की मात्रा के आनुपातिक होता है और उनके बीच की दूरी के वर्ग का विपरीत रूप से आनुपातिक होता है।

9. हीजनबर्ग प्रिंसिपल (अनिश्चितता का सिद्धांत) -
एक कण जैसे कि इलेक्ट्रान के दोनों, स्थिति और मोमेंटम को एक साथ सटीकता से निर्धारित कर पाना असंभव होता है।

10. गे-लूस्साकस लॉ ऑफ़ कम्बाइनिंग वॉल्यूम्स - गैसें आपस में वॉल्यूम में उनके साथ प्रतिक्रिया करती हैं जो एक दूसरे के साथ और एक दूसरे के प्रोडक्ट के वॉल्यूम के साथ भी सरल होल नंबर रेश्यो बनाती हों, यदि गैसीय है तो - जब वॉल्यूम तापमान और प्रेशर की सामान परिस्थितियों में मापी जाए।

11. ग्राहम्स लॉ ऑफ़ डिफ्यूजन - यह बताता है कि गैसों के प्रसार का दर तापमान और प्रेशर की सामान परिस्थितियों के अन्तर्गत उनकी डेंसिटी के स्क्वायर रूट के विपरीत आनुपातिक होता है।

12. केप्लर्स लॉ - प्रत्येक ग्रह सूर्य के चारों ओर एक अंडाकार ऑर्बिट में सूर्य को एक केंद्र बनाकर घूमते हैं। सीधी रेखा जो सूर्य और ग्रह को जोड़ती है वह बराबर अंतराल में बराबर के क्षेत्रों को कवर करती है। ग्रहों के ऑर्बिटल पीरियड का दुगना सूर्य से उनकी औसत दूरी के क्यूब के आनुपातिक होता है।

13. लॉ ऑफ़ फ्लोटेशन - एक बॉडी को तैराने के लिए, निम्न शर्तों को पूरा करना चाहिए:
बॉडी के वजन को हटाये गए पानी के वजन के बराबर होना चाहिए।
बॉडी का और हटाये गए तरल का गुरुत्वाकर्षण केंद्र एक ही सीधी रेखा में होना चाहिए।

14. लॉ ऑफ़ कंज़र्वेशन ऑफ़ एनर्जी - यह कहा गया है कि ऊर्जा को ना तो बनाया जा सकता है और ना ही नष्ट किया जा सकता है, लेकिन इसे एक रूप से दूसरे में तब्दील किया जा सकता है। चूंकि ऊर्जा को ना तो बनाया जा सकता है और ना ही नष्ट किया जा सकता है, ऊर्जा की मात्रा जो ब्रह्मांड में मौजूद है हमेशा स्थिर रहती है।

15. न्यूटन्स फर्स्ट लॉ ऑफ़ मोशन - एक रुकी हुई वस्तु रुकी हुई ही रहती है, और एक चलती हुई वस्तु चलती हुई ही रहती है, सीधी रेखा में उसी दिशा और गति के साथ, जब तक उसपर कोई बाहरी फ़ोर्स काम ना करे।

16. न्यूटन्स सेकंड लॉ ऑफ़ मोशन - एक बॉडी के मोमेंटम के परिवर्तन का दर लगाए जाने वाले फ़ोर्स के आनुपातिक होता है और उसी दिशा में होता है जिसमें फ़ोर्स लगाया जा रहा होता है।

17. न्यूटन्स थर्ड लॉ ऑफ़ मोशन - हर क्रिया के लिए बराबर और विपरीत प्रतिक्रिया होती है।

18. न्यूटन्स लॉ ऑफ़ ग्रैविटेशन - मैटर के सभी कण एक दूसरे को जिस फ़ोर्स से आकर्षित करते हैं वह उनके मॉसिस के गुणा के आनुपातिक होता है और उनके बीच की दूरी के दुगने का विपरीत आनुपातिक होता है।

19. ओम्स लॉ - यह बताता है कि एक कंडक्टर के माध्यम से दो पॉइंट के बीच से गुजरने वाला करंट, उन दो पॉइंट के पोटेंशियल डिफरेंस के आनुपातिक होता है, लेकिन केवल तब जब कंडक्टर की फिजिकल स्थिति और तापमान आदि में कोई परिवर्तन ना आये।

20. पाउली एक्सक्लूजन प्रिंसिपल - यह बताता है कि एक एटम या मॉलिक्यूल में कोई भी दो इलेक्ट्रान के पास एक सी ही क्वांटम संख्या का सेट नहीं होता है।

21. रमन इफ़ेक्ट - यह वेवलेंथ में परिवर्तन होता है जो तब होता है जब एक पारदर्शी माध्यम में एटम्स या मॉलिक्यूल्स द्वारा प्रकाश फ़ैल जाता है।

22. टिण्डल इफ़ेक्ट - गैस या तरल पदार्थ में निलंबित बहुत छोटे कणों द्वारा प्रकाश का फैलना ।


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 मानव रक्‍त पर आधारित जीव विज्ञान 

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➤मानव रक्‍त


• मानव शरीर में रक्‍त की मात्रा शरीर के कुल भार का 7% है।

• यह क्षारीय विलयन है जिसका pH मान 7.4 होता है।

• मानव शरीर में औसतन 5-6 लीटर रक्‍त पाया जाता है।


रक्‍त के दो भाग होते हैं:


(1) प्‍लाज्‍मा,

(2) रक्‍त कणिकाएं


(1) प्‍लाज्‍मा


• यह रक्‍त का तरल भाग है। रक्‍त का 60% भाग प्‍लाज्‍मा होता है। इसका 90% भाग जल, 7% प्रोटीन, 0.9% लवण और 0.1% ग्‍लूकोज होता है। शेष अन्‍य पदार्थ काफी कम मात्रा में उपस्थित होते हैं।


• प्‍लाज्‍मा के कार्य – शरीर से पचे भोजन, हार्मोन, उत्‍सर्जी पदार्थों आदि का परिवहन प्‍लाज्‍मा के माध्‍यम से होता है।


• सेरम – प्‍लाज्‍मा से फाइब्रिनोजन एवं प्रोटीन को निकाल देने पर शेष बचे भाग को सेरम कहते हैं।


(2) रक्‍त कणिकाएं (रक्‍त का 40% भाग)


इसको तीन भागों में बांटा जाता है:


1. लाल रक्‍त कणिकाएं (आरबीसी)


• इसमें नाभिक का अभाव होता है। अपवाद – ऊँट और लामा।


• आरबीसी का निर्माण अस्थि मज्‍जा में होता है। (भ्रूण अवस्‍था में इसका निर्माण यकृत में होता है।)


• इसका जीवनकाल 20 से 120 दिन होता है।


• इसका विनाश प्‍लीहा में होता है। इसलिये प्‍लीहा को आरबीसी की कब्रगाह कहते हैं।


• इसमें हीमोग्‍लोबिन पाया जाता है, जिसमें लौह युक्‍त हीम नामक यौगिक पाया जाता है, इसके कारण रक्‍त का रंग लाल होता है।


• आरबीसी का मुख्‍य कार्य सभी कोशिकाओं को ऑक्‍सीजन पहुँचाकर उससे कार्बनडाईआक्‍साइड वापस लाना होता है।


• एनिमिया रोग का कारण हीमोग्‍लोबिन की कमी है।


• सोते समय आरबीसी में 5% की कमी हो जाती है और 4200 मीटर की ऊँचाई पर रहने वाले लोगो के आरबीसी में 30% की वृद्धि हो जाती है।


2. श्‍वेत रक्‍त कणिकाएं (डबल्‍यूबीसी) अथवा ल्‍यूसोसाइट्स


• इसका निर्माण अस्थि मज्‍जा, लिम्‍फ नोड और कभी-कभी यकृत और प्‍ली‍हा में होता है।


• इसका जीवन काल 5 से 20 दिन होता है।


• श्‍वेत रक्‍त कणिकाओं में नाभिक पाया जाता है।


• इसका मुख्‍य कार्य शरीर की रोगो से रक्षा करना है।


• आरबीसी और डबल्‍यूबीसी का अनुपात 600:1 है।


3. रक्‍त बिम्‍बाणु अथवा थ्रोम्‍बोसाइट्स:


• यह केवल मानव एवं अन्‍य स्‍तनधारियों के रक्‍त में पाया जाता है।


• इसमें नाभिक का अभाव होता है।


• इसका निर्माण अस्थि मज्‍जा में होता है।


• इसका जीवनकाल 3 से 5 दिन का होता है।


• इसकी मृत्‍यु प्‍लीहा में होती है।


• इसका मुख्‍य कार्य रक्‍त का थक्‍का बनने में मदद करना है।


➤रक्‍त का कार्य:


• शरीर के तापमान को नियंत्रित करना और शरीर की रोगों से रक्षा करना आदि।


• ऑक्‍सीजन, कार्बनडाई आक्‍साइड, पचे भोजन का परिवहन, हार्मोन का संवहन आदि।


• शरीर के विभिन्‍न भागों के मध्‍य समन्‍वय स्‍थापित करना।


➤रक्‍त का थक्‍का बनाना:


• क्लॉटिंग के दौरान निम्नलिखित प्रतिक्रियाएं होती हैं-


(ए) थ्रोम्बोप्लास्टिन + प्रोथ्रोबिन + कैल्शियम = थ्रोम्बिन


(बी) थ्रोम्बिन + फाइब्रिनोजन = फाइब्रिन


(सी) फाइब्रिन + रक्त काष्ठक = थक्का


• विटामिन K रक्त के थक्के में मददगार है।


मानव रक्‍त समूह


• रक्‍तसमूह की खोज कार्ल लैनस्‍टीनर ने 1900 में की थी।


• इसके लिये उन्‍हें वर्ष 1930 में नोबल पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया गया था।


• मानव रक्‍त समूहों में विभिन्‍नता का मुख्‍य कारण ग्‍लाइको प्रोटीन है जो लाल रक्‍त कणिकाओं में पाया जाता है। इसे एण्‍टीजन कहते हैं। एण्‍टीजन दो प्रकार के होते हैं – एण्‍टीजन A और एण्‍टीजन B


• एण्‍टीजन अथवा ग्‍लाइको प्रोटीन की उपस्थिति के आधार पर, मानव में चार रक्‍त समूह पाये जाते हैं:


• जिसमें एण्‍टीजन A पाया जाता है – रक्‍त समूह A


• जिसमें एण्‍टीजन B पाया जाता है – रक्‍त समूह B


• जिसमें एण्‍टीजन A और B पाया जाता है – रक्‍त समूह AB


• जिसमें कोई भी एण्‍टीजन नहीं पाया जाता है – रक्‍त समूह O


• रक्‍त के प्‍लाज्‍मा में एक विपरीत प्रकार की प्रोटीन पायी जाती है। इसे एण्‍टीबॉडी कहते हैं। यह भी दो प्रकार की होती है – एण्‍टीबॉडी a और एण्‍टीबॉडी b.


• रक्‍त समूह O को सर्वदाता समूह कहा जाता है क्‍योंकि इसमें कोई भी एण्‍टीजन नहीं होता है।


• रक्‍त समूह AB को सर्वग्राही समूह कहते हैं क्‍योंकि इसमें कोई भी एण्‍टीबॉडी नहीं होता है।


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