Unique Study Point: Child Development and Pedagogy
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पियाजे का संज्ञानात्मक विकास सिद्धांत (Piaget's Theory of Cognitive Development)

 

जीन पियाजे (Jean Piaget) एक स्विस मनोवैज्ञानिक थे जिन्होंने बच्चों के संज्ञानात्मक विकास (Cognitive Development) पर एक महत्वपूर्ण सिद्धांत प्रस्तुत किया। उनका सिद्धांत इस बात पर केंद्रित है कि बच्चे कैसे ज्ञान प्राप्त करते हैं और उनके सोचने की प्रक्रियाएँ समय के साथ कैसे बदलती हैं। पियाजे का मानना था कि बच्चे विशेष चरणों से गुजरते हैं, और प्रत्येक चरण में उनका सोचने और दुनिया को समझने का तरीका भिन्न होता है। उनके सिद्धांत को चार चरणों में बाँटा गया है, और प्रत्येक चरण में बच्चे की सोच और समझने की क्षमता अलग होती है।

 

1. संवेदी-मोटर चरण (Sensorimotor Stage):

आयु: जन्म से 2 वर्ष (Birth to 2 years)

मुख्य विशेषताएँ:

इस चरण में शिशु अपने इंद्रियों (जैसे स्पर्श, दृष्टि, सुनना) और मोटर क्रियाओं (जैसे हिलना, पकड़ना) के माध्यम से दुनिया को जानना सीखते हैं। वे वस्तु स्थायित्व (Object Permanence) विकसित करते हैं, जिसका अर्थ है कि उन्हें यह समझ में आने लगता है कि वस्तुएं तब भी मौजूद रहती हैं जब वे उन्हें देख या सुन नहीं सकते।

उदाहरण: बच्चा यह समझने लगता है कि अगर कोई खिलौना कंबल के नीचे छिपा है, तो वह अभी भी वहां है, गायब नहीं हुआ।

2. पूर्व-प्रचालनात्मक चरण (Pre-operational Stage):

आयु: 2 से 7 वर्ष (2 to 7 years)

मुख्य विशेषताएँ:

इस चरण में बच्चे प्रतीकों (symbols) का उपयोग करना शुरू कर देते हैं, जैसे शब्दों और चित्रों से वस्तुओं का प्रतिनिधित्व करना।

स्वकेन्द्रता (Egocentrism): वे दूसरों के दृष्टिकोण को समझने में कठिनाई महसूस करते हैं और सोचते हैं कि बाकी लोग भी दुनिया को उसी तरह देखते हैं जैसे वे देखते हैं।

आनिमिज्म (Animism): वे यह मानते हैं कि निर्जीव वस्तुओं में भी भावनाएं और विचार होते हैं (जैसे कि बच्चा सोचता है कि सूरज जीवित है क्योंकि वह आसमान में चलता है)।

 संरक्षण की कमी (Lack of Conservation): वे यह नहीं समझते कि कुछ विशेषताएँ (जैसे मात्रा या संख्या) तब भी स्थिर रहती हैं जब उनकी बाहरी रूपरेखा बदल जाती है।

उदाहरण: यदि आप पानी को चौड़े गिलास से पतले और लंबे गिलास में डालते हैं, तो बच्चा सोच सकता है कि लंबे गिलास में अधिक पानी है।

3. ठोस प्रचालनात्मक चरण (Concrete Operational Stage):

आयु: 7 से 11 वर्ष (7 to 11 years)

मुख्य विशेषताएँ:

 इस चरण में बच्चे ठोस वस्तुओं और घटनाओं के बारे में तर्कसंगत ढंग से सोच सकते हैं।

संरक्षण (Conservation): वे यह समझने लगते हैं कि आकार, मात्रा और संख्या जैसी विशेषताएँ तब भी स्थिर रहती हैं जब उनकी बाहरी रूप में परिवर्तन हो जाता है। वे मानसिक क्रियाएँ कर सकते हैं, जैसे कि पलटाव प्रक्रिया (Reversibility), यानी वे समझते हैं कि किसी क्रिया को पलटा भी जा सकता है (जैसे मिट्टी के गोले को फिर से उसकी मूल अवस्था में लाया जा सकता है)। तर्कसंगत सोच: वे समस्याओं को हल कर सकते हैं, लेकिन आमतौर पर उन्हें ठोस वस्तुओं या उदाहरणों की आवश्यकता होती है। उदाहरण: बच्चा अंकगणितीय समस्याओं को हल कर सकता है यदि वह उन समस्याओं को ठोस वस्तुओं की मदद से देख सकता है।

4. औपचारिक प्रचालनात्मक चरण (Formal Operational Stage):

आयु: 11 वर्ष और उससे आगे (11 years and beyond)

मुख्य विशेषताएँ:

इस चरण में बच्चे अमूर्त (Abstract) और काल्पनिक (Hypothetical) स्थितियों के बारे में सोचने की क्षमता विकसित करते हैं। वे संभावित या काल्पनिक स्थितियों पर तर्कसंगत रूप से विचार कर सकते हैं, केवल ठोस वस्तुओं पर निर्भर नहीं रहते।

निर्णयात्मक तर्क (Deductive reasoning): वे सामान्य सिद्धांतों का उपयोग करके विशेष भविष्यवाणियां कर सकते हैं (यदि-तब की सोच)। वे नैतिक, दार्शनिक, और वैज्ञानिक अवधारणाओं के बारे में भी सोच सकते हैं।

उदाहरण: किशोर बिना ठोस वस्तुओं की आवश्यकता के जटिल समस्याओं जैसे बीजगणित (Algebra) को हल कर सकते हैं।

 

पियाजे के सिद्धांत की मुख्य अवधारणाएँ (Key Concepts in Piaget's Theory):

 

 स्कीमा (Schemas): स्कीमा मानसिक ढांचे या संरचनाएँ हैं जो हमें जानकारी को संगठित और समझने में मदद करती हैं। पियाजे के अनुसार, सीखना एक ऐसा प्रक्रिया है जिसमें हम इन स्कीमाओं को अपने अनुभवों के आधार पर समायोजित करते हैं।

समाकलन (Assimilation): समाकलन तब होता है जब नई जानकारी को मौजूदा स्कीमा में शामिल किया जाता है। उदाहरण: अगर बच्चा कुत्ते को जानता है और बिल्ली को देखकर उसे "कुत्ता" कहता है, तो वह नई जानकारी को अपनी मौजूदा स्कीमा में जोड़ रहा है।

समायोजन (Accommodation): समायोजन तब होता है जब नई जानकारी के कारण स्कीमा को बदलना पड़ता है। ऊपर दिए गए उदाहरण में, जब बच्चा यह सीखता है कि बिल्ली कुत्ते से अलग है, तो वह अपनी स्कीमा को बदल देता है।

संतुलन (Equilibration): समाकलन और समायोजन के बीच संतुलन को संतुलन प्रक्रिया कहा जाता है। यह सीखने की प्रक्रिया को चलाता है क्योंकि बच्चे अपने आस-पास की दुनिया को समझने की कोशिश करते हैं।

संरक्षण (Conservation): संरक्षण का मतलब यह समझना है कि कुछ वस्तुओं की विशेषताएँ (जैसे मात्रा, संख्या) उनके रूप या आकार बदलने के बावजूद समान रहती हैं। यह क्षमता ठोस प्रचालनात्मक चरण में विकसित होती है।

 

पियाजे के सिद्धांत का महत्व (Importance of Piaget's Theory):

पियाजे का सिद्धांत शिक्षा के क्षेत्र में बहुत प्रभावशाली रहा है। इससे शिक्षकों को यह समझने में मदद मिलती है कि बच्चे विभिन्न चरणों में अलग-अलग तरीके से सीखते हैं। शिक्षक अपने छात्रों की विकासात्मक अवस्था को ध्यान में रखते हुए उचित पाठ योजनाएँ बना सकते हैं।

उदाहरण: पूर्व-प्रचालनात्मक चरण में शिक्षक दृश्य सहायक सामग्री और व्यावहारिक गतिविधियों का उपयोग कर सकते हैं, जबकि औपचारिक प्रचालनात्मक चरण में वे अमूर्त सोच और समस्या समाधान गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।

 

पियाजे के सिद्धांत की आलोचना (Criticism of Piaget's Theory):

कुछ आलोचकों का मानना है कि पियाजे ने छोटे बच्चों की संज्ञानात्मक क्षमताओं को कम करके आंका है, विशेष रूप से पूर्व-प्रचालनात्मक चरण में। अनुसंधान से पता चला है कि उचित मार्गदर्शन और समर्थन के साथ बच्चे पियाजे के अनुमान से पहले कुछ संज्ञानात्मक कार्यों को प्राप्त कर सकते हैं। पियाजे के सिद्धांत में सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभावों की भूमिका को पर्याप्त महत्व नहीं दिया गया है, जैसा कि वायगोत्स्की के सिद्धांत में किया गया है।

निष्कर्ष (Conclusion): पियाजे का संज्ञानात्मक विकास सिद्धांत इस बात की समग्र रूप से समझ प्रदान करता है कि बच्चे कैसे सीखते हैं और मानसिक रूप से विकसित होते हैं। यह बताता है कि बच्चे चार विशिष्ट चरणों से गुजरते हैं, जिनमें प्रत्येक चरण में उनकी सोचने की क्षमता अलग होती है। इन चरणों को समझकर, शिक्षक और माता-पिता बच्चों की सीखने की प्रक्रिया का समर्थन उन तरीकों से कर सकते हैं जो उनकी विकासात्मक अवस्था के अनुरूप हों।

 

 

In English

 

 

Piaget's Theory of Cognitive Development (जीन पियाजे का संज्ञानात्मक विकास सिद्धांत)

 

Jean Piaget, a Swiss psychologist, proposed one of the most influential theories of cognitive development. His theory focuses on how children acquire knowledge and how their thinking processes change as they grow. Piaget believed that children go through specific stages of cognitive development, each with distinct characteristics. His theory is divided into four stages, each representing a different way of thinking and understanding the world.

1. Sensorimotor Stage (संवेदी-मोटर चरण):

Age: Birth to 2 years (जन्म से 2 वर्ष)

Key Characteristics:

In this stage, infants learn about the world through their senses and motor actions (touching, seeing, hearing, etc.). They develop object permanence, which means they begin to understand that objects continue to exist even when they cannot see or hear them. Example: A baby will realize that even if a toy is hidden under a blanket, it still exists.

2. Pre-operational Stage (पूर्व-प्रचालनात्मक चरण):

 Age: 2 to 7 years (2 से 7 वर्ष)

Key Characteristics:

Children in this stage begin to use symbols (like words and images) to represent objects.

Egocentrism: They find it difficult to see things from another person’s perspective (they think others see the world the same way they do). Animism: They believe that inanimate objects have feelings and thoughts (e.g., a child thinks the sun is alive because it moves across the sky).

Lack of Conservation: They do not understand that certain properties (like volume or number) remain the same even when the appearance changes. For example, if you pour water from a short, wide glass into a tall, thin glass, they may think the taller glass has more water.

3. Concrete Operational Stage (ठोस प्रचालनात्मक चरण):

Age: 7 to 11 years (7 से 11 वर्ष)

Key Characteristics:

Children can now think logically about concrete objects and events. Conservation: They understand that properties such as volume, mass, and number remain the same despite changes in the form or appearance of objects. They can perform mental operations such as reversibility (knowing that actions can be reversed, like rolling a ball of clay back into its original shape).

Logical thinking: They can solve problems but usually need tangible objects or examples to understand complex concepts. Example: A child can solve problems involving arithmetic operations if they can visualize the problem using concrete objects.

4. Formal Operational Stage (औपचारिक प्रचालनात्मक चरण): Age: 11 years and beyond (11 वर्ष और उससे आगे) Key Characteristics: In this stage, children develop the ability to think abstractly and hypothetically. They can reason logically about potential or hypothetical situations, not just concrete ones. Deductive reasoning: They can use general principles to make specific predictions (if-then thinking). They can think about moral, philosophical, and scientific concepts. Example: Adolescents can solve abstract problems like algebra, where they do not need physical objects to find solutions.

 

Key Concepts in Piaget’s Theory (महत्वपूर्ण अवधारणाएँ): Schemas (स्कीमा):

 

Schemas are mental structures or frameworks that help individuals organize and interpret information. For Piaget, learning is the process of adjusting these schemas through interaction with the environment.

Assimilation (समाकलन): Assimilation occurs when new information is incorporated into existing schemas. For example, a child who knows what a dog is may see a cat and call it a "dog" because they are assimilating the new animal into their existing schema of four-legged animals.

Accommodation (समायोजन): Accommodation happens when new information causes a schema to change. In the above example, after learning that the new animal is a cat, the child adjusts their schema to differentiate between cats and dogs.

Equilibration (संतुलन): Equilibration is the balance between assimilation and accommodation. It drives the learning process as children seek to make sense of their world.

Conservation (संरक्षण): Conservation refers to the understanding that certain properties of objects (such as volume, mass, and number) remain constant despite changes in the form or appearance of the objects. This understanding develops during the concrete operational stage.

 

Importance of Piaget's Theory (पियाजे के सिद्धांत का महत्व):

 

Piaget’s theory has had a profound impact on education. It helps teachers understand that children learn differently at different stages of development. Teachers can create lessons that are developmentally appropriate for their students by considering the stage of cognitive development.

For example, in the pre-operational stage, teachers can use visual aids and hands-on activities to help children understand new concepts, whereas in the formal operational stage, teachers can engage students in more abstract thinking and problem-solving activities.

 

Criticism of Piaget's Theory (पियाजे के सिद्धांत की आलोचना):

 

Some critics argue that Piaget underestimated the cognitive abilities of children, especially in younger stages like the pre-operational stage. Research has shown that with proper guidance and support, children can achieve certain cognitive tasks earlier than Piaget predicted. Piaget’s theory also does not take into account the role of social and cultural influences on cognitive development, as Vygotsky's theory does.

Conclusion (निष्कर्ष): Piaget's theory of cognitive development provides a comprehensive framework for understanding how children learn and grow mentally. It highlights that children pass through distinct stages of development, each characterized by unique ways of thinking. By understanding these stages, educators and parents can support children's learning in ways that are appropriate to their developmental level.

Child Development and Pedagogy Previous Year Questions 

बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र व शिक्षा मनोविज्ञान


दोस्तो आज की हमारी इस पोस्ट में हम आपको बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र व शिक्षा मनोविज्ञान ( Child Development and Pedagogy and Educational Psychology ) से संबंधित सभी Notes व PDF उप्लब्ध कराऐंगे जो कि आपको आंगे आने बाले सभी तरह के Teaching Exams जैसे कि Vyapam Samvida Teacher , CTET , UPTET , HTET, REET, MPTET व अन्य Exams जिनमें कि Child Development and Pedagogy and Educational Psychology से संबंधित प्रश्न पूंछे जाने हैं उन सभी के लिये बहुत महत्वपूर्ण होंगी ! 


1.किस मनोवैज्ञानिक ने अपने साढ़े तीन बर्षीय पुत्र पर अध्ययन किया - पेस्टोलॉजी

2. बालक का बिकास होता है - सिर से पैर की ओर 

3. बालक में संस्कारो का प्रारम्भ कहाँ से होता है - परिवार 

4. विकास के सन्दर्भ में गलत कथन है - विशिष्ट से सामान्य की ओर 

5. खेल के मैदान में कौन सा विकास होता है - सारीरिक विकास ,मानसिक विकास , सामाजिक विकास 

6. गर्भाधान काल की अवस्था नहीं है - शैशवावस्था 

7. गर्भ में संतान सबसे ज्यादा प्रभावित होती है - माँ के पोषण से 

8."मानव जीवन की मनोभौतिक एकता "कहलाती है  - मन तथा शरीर का  विकास 

9. 2 -5  वर्ष तक की आयु कहलाती है - शैशवावस्था 

10. गर्भ में सर्वप्रथम निर्माण होता है - सिर 

11. बालक के सिर एवं मष्तिक का सर्वाधिक विकास किस अवस्था में होता है - शैशवावस्था

12. जन्म के समय शिशु के शरीर में कितनी हड्डियां होती हैं - 270 

13. बीजावस्था कहां गया है - 0 -7 सप्ताह 

14. बालक अपनी माँ को पहचानना प्रारम्भ कर देता है - 3 माह 

15 . बालक जमीन पर से अपनी पसंद की वस्तु को उठा लेता है, उस बालक की लगभग आयु क्या होगी - 8 - 9 माह 

16 . बालक के जन्म के समय शिशु के मस्तिक का भार होता है - 350 ग्राम 

17 . सीखने का आदर्श काल माना जाता है - शैशवावस्था

18 . कल्पना जगत मे विचरन होता है - शैशवावस्था व किशोरावस्था 

19 . बालक मुख्य मुख्य रंगों की पेहचान कर लेता है - 5 वर्ष से 

20 . मिथ्या परिपक़्वता का काल कहा जता है - बालयावस्था 

21 .  छोटे-छोटे वाक्यों को बोलना व तीन पहिये की साईकिल चलाना यह कार्य किस अवस्था में होता है -  शैशवावस्था 

22. कार्ल सी गैरिसन ने किस विधि का अध्ययन किया था - लम्बात्मक विधि का 

23. किस घटना की ओर बालक सर्वप्रथम आकर्षित होना प्रारम्भ करता है  - प्रकाश 

24. बालक -बालिकाओं को सर्वाधिक समायोजन करना पड़ता है - वयः संधिकाल 

25. बालक की जिज्ञासा को किया जाना चाहिए - शांत 

26 . भारत में बाल विकास की शुरुआत हुई - 1930 में 

27 . विकास प्रारम्भ होता है - गर्भावस्था में 

28 . बालिकाओं की लम्बाई किस अवस्था में बालकों से अधिक होती है - बाल्यावस्था में 

29. दिवास्वपन एवं भाषा के कूटकरण की अवस्था है - किशोरावस्था 

30. विकास के सम्बन्ध में सही कथन है - विकास सम्पूर्ण पक्षों में होने बाला परिवर्तन 

31. विकास केवल एक ओर से ना होकर चारों ओर से होता है। यह सिद्धांत बताया है - वर्तुलाकार 

32. जन्म के समय नवजात शिशु रोता है - वातावरण में परिवर्तन के कारण
 
33.शैशवावस्था के अंत में किस ग्रंथि के प्रभाव के कारण बालिकाएँ  अपने पिता के प्रति श्रद्धा भाव रखती हैं - इलेक्ट्रा 

34.क्लार्क और बीर्च ने नर चिम्पांजी के शरीर में - स्त्री हार्मोंस प्रवेश कराये। 

35. बालक का विकास वंशानुक्रम व वातावरण का है  - गुणनफल 

36. जीवन का सबसे कठिन काल - किशोरावस्था 

37. बालक के अस्थाई दांतों संख्या - 20 

38.अनुवांशिकता से तात्पर्य होता है - गुणसूत्र तथा जींस 

39.पुरुषों में सामान्य यौन गुणसूत्र होता है -  XY गुणसूत्र 

40. जन्म के समय बालक का भार होता है - 6 - 8 पौण्ड 

41.आनुवांशिकता के वास्तविक निर्धारक होते हैं  -  गुणसूत्र

42. बालक के विकास में महत्त्व है - वंशक्रम का एवं वातावरण का 

43. दिवास्वपन में विचरण करने की कामना अत्यंत प्रवल होती है - किशोरावस्था में 

44. सृजनशील बालकों का लक्षण है - जिज्ञासा
 
45. क्रोध संवेग के कारण उत्पन्न प्रवृत्ति है  - युयुत्सा 

46. बालक - बालिकाएं अपने जीवन में किसी अन्य को आदर्श के रूप में स्वीकार करते है किस अवस्था में -  किशोरावस्था में 

47. सामान आयु स्तर के बालक - बलिकाओं का बौद्धिक स्तर भिन्न भिन्न होता है , यह कथन किसका है  - हरलॉक 

48. बालक का समाजीकृत किस  तकनीक से निर्धारित है  - समाजमिति तकनीक से 

49. बालकों में सौंदर्यानुभूति विकसित करने का आधारभूत साधन - प्रकृति अवलोकन 

50. किशोरावस्था की प्रमुख विषेशता नहीं है - संग्रह की प्रवृति 

51. जन्म के समय बालक की स्मरण शक्ति होती है  - बहुत कम 

52. किस वैज्ञानिक ने माना है की उचित वातावरण से बुद्धि लब्धि में वृद्धि होती है - स्टीफन्स 

53.आत्मगौरव की भावना सर्वाधिक पायी जाती है - 13 - 19 वर्ष 

54.चरित्र निर्माण  में निम्नांकित कारक सहायक है - निर्देश 

55. बालक का शारीरिक ,मानसिक ,सामाजिक और संवेगात्मक विकास किस अवस्था में पूर्णता को प्राप्त होता है -  किशोरावस्था में 

56. किस आयु के बालक मे समय ,दिन ,दिनाँक एवं क्षेत्रफल सम्बंधित अवबोध का विकास हो जाता है - 9 वर्ष 

57. उत्तर बाल्यकाल का समय कब होता है - 6 - 12 वर्ष तक 

58. जिस आयु में बालक की मानसिक योग्यता का लगभगपूर्ण विकास हो जाता है - 14 वर्ष
  
59. बालक के सामाजिक विकास में सबसे महत्वपूर्ण कारक कौनसा है - वातावरण 

60. विकासात्मक बाल मनोविज्ञान का जनक किसे माना जाता है - जीन पियाजे को 

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