2022 | Unique Study Point

 Computer Shortcut Key – Most Important For All Exams 



आजकल आप सभी जानते हैं कि सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में कंप्यूटर बहुत ज्यादा आने लगा है ! और कंप्यूटर में सबसे ज्यादा ShortCut Key के बारे में पूंछा जाता है कि कौन सी ShortCut Key किस काम के लिये प्रयोग की जाती है !

तो इस पोस्ट में हम आपके लिये कुछ Important Shortcut Key के बारे में बताने जा रहे हैं ! जो आपको सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में बहुत काम आयेंगी.

इस पोस्ट के लास्ट मैं हम आपको सभी  Important Shortcut Key की पी डी ऍफ़ का लिंक दे देंगे आप बहा से कलरफुल पी डी ऍफ़ को DOWONLOAD कर सकते हो. 


COMPUTER  BASIC SHORTCUT KEYS


Alt + F – File menu options in current program


Alt + E – Edit options in current program


F1 – Universal help (for all programs)


Ctrl + A – Select all text


Ctrl + X – Cut selected item


Shift + Del – Cut selected item


Ctrl + C – Copy selected item


Ctrl + Ins – Copy selected item


Ctrl + V – Paste


Shift + Ins – Paste


Home – Go to beginning of current line


Ctrl + Home – Go to beginning of document


End – Go to end of current line


Ctrl + End – Go to end of document


Shift + Home – Highlight from current position to beginning of line


Shift + End – Highlight from current position to end of line


     

MICROSOFT  WINDOWS SHORTCUT KEYS


Alt + Tab – Switch between open applications


Alt + Print Screen – Create screenshot for current program


Ctrl + Alt + Del – Open task manager


Ctrl + Esc – Bring up start menu


Alt + Esc – Switch between applications on taskbar


F2 – Rename selected icon


F3 – Start find from desktop


F4 – Open the drive selection when browsing


F5 – Refresh contents


Alt + F4 – Close current open program


Ctrl + F4 – Close window in program


Alt + Enter – Open properties


Shift + Del – Delete programs/files permanently


MICROSOFT WORD SHORTCUT KEYS


Ctrl + A – Select all contents of the page


Ctrl + B – Bold highlighted selection


Ctrl + C – Copy selected text


Ctrl + X – Cut selected text


Ctrl + N – Open new/blank document


Ctrl + O – Open options


Ctrl + P – Open the print window


Ctrl + F – Open find box


Ctrl + I – Italicize highlighted selection


Ctrl + K – Insert link


Ctrl + U – Underline highlighted selection


Ctrl + V – Paste


Ctrl + Y – Redo the last action performed


Ctrl + Z – Undo last action


Ctrl + G – Find and replace options


Ctrl + H – Find and replace options


Ctrl + J – Justify paragraph alignment


Ctrl + L – Align selected text or line to the left


Ctrl + E – Align selected text or line to the center


Ctrl + R – Align selected text or line to the right


Ctrl + M – Indent the paragraph


Ctrl + T – Hanging indent


Ctrl + D – Font options


Ctrl + Shift + F – Change the font


Ctrl + Del – Delete word to right of cursor


Ctrl + Backspace – Delete word to left of cursor


Ctrl + End – Move cursor to end of document


Ctrl + Home – Move cursor to beginning of document


Ctrl + 1 – Single-space lines


Ctrl + 2 – Double-space lines


Ctrl + 5 – 1.5-line spacing


Ctrl + Alt + 1 – Change text to heading 1


Ctrl + Alt + 2 – Change text to heading 2


Ctrl + Alt + 3 – Change text to heading 3


F1 – Open help


Shift + F3 – Change case of selected text


Shift + Insert – Paste


F7 – Spell check selected text


F12 – Save as


Ctrl + S – Save


Shift + F12 – Save


Alt + Shift + D – Insert the current date


Alt + Shift + T – Insert the current time


Ctrl + W – Close document


 MICROSOFT EXCEL SHORTCUT KEYS


F2 – Edit the selected cell


F5 – Go to a specific cell


F7 – Spell check selected text or document


F11 – Create chart


Ctrl + Shift + ; – Enter the current time


Ctrl + ; – Enter the current date


Alt + Shift + F1 – Insert new worksheet


Shift + F3 – Open the Excel® formula window


Shift + F5 – Bring up search box


Ctrl + A – Select all contents of worksheet


Ctrl + B – Bold highlighted selection


Ctrl + I – Italicize highlighted selection


Ctrl + C – Copy selected text


Ctrl + V – Paste


Ctrl + D – Fill


Ctrl + K – Insert link


Ctrl + F – Open find and replace options


Ctrl + G – Open go-to options


Ctrl + H – Open find and replace options


Ctrl + U – Underline highlighted selection


Ctrl + O – Open options


Ctrl + N – Open new document


Ctrl + P – Open print dialog box


Ctrl + S – Save


Ctrl + Z – Undo last action


Ctrl + F9 – Minimize current window


Ctrl + F10 – Maximize currently selected window


Ctrl + Page up & Page Down – Move between Excel® worksheets in the same document


Ctrl + Tab – Move between two or more open Excel® files


Alt + = – Create formula to sum all of above cells


Ctrl + Space – Select entire column


Shift + Space – Select entire row


Ctrl + W – Close document


नीचे दी गई लिंक से आप  सभी  Important Shortcut Key की कलरफुल पी डी ऍफ़ को आप DOWONLOAD कर सकते हो.  

CLICK HERE TO DOWONLOAD :- DOWONLOAD PDF

Child Development and Pedagogy Previous Year Questions 

बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र व शिक्षा मनोविज्ञान


दोस्तो आज की हमारी इस पोस्ट में हम आपको बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र व शिक्षा मनोविज्ञान ( Child Development and Pedagogy and Educational Psychology ) से संबंधित सभी Notes व PDF उप्लब्ध कराऐंगे जो कि आपको आंगे आने बाले सभी तरह के Teaching Exams जैसे कि Vyapam Samvida Teacher , CTET , UPTET , HTET, REET, MPTET व अन्य Exams जिनमें कि Child Development and Pedagogy and Educational Psychology से संबंधित प्रश्न पूंछे जाने हैं उन सभी के लिये बहुत महत्वपूर्ण होंगी ! 


1.किस मनोवैज्ञानिक ने अपने साढ़े तीन बर्षीय पुत्र पर अध्ययन किया - पेस्टोलॉजी

2. बालक का बिकास होता है - सिर से पैर की ओर 

3. बालक में संस्कारो का प्रारम्भ कहाँ से होता है - परिवार 

4. विकास के सन्दर्भ में गलत कथन है - विशिष्ट से सामान्य की ओर 

5. खेल के मैदान में कौन सा विकास होता है - सारीरिक विकास ,मानसिक विकास , सामाजिक विकास 

6. गर्भाधान काल की अवस्था नहीं है - शैशवावस्था 

7. गर्भ में संतान सबसे ज्यादा प्रभावित होती है - माँ के पोषण से 

8."मानव जीवन की मनोभौतिक एकता "कहलाती है  - मन तथा शरीर का  विकास 

9. 2 -5  वर्ष तक की आयु कहलाती है - शैशवावस्था 

10. गर्भ में सर्वप्रथम निर्माण होता है - सिर 

11. बालक के सिर एवं मष्तिक का सर्वाधिक विकास किस अवस्था में होता है - शैशवावस्था

12. जन्म के समय शिशु के शरीर में कितनी हड्डियां होती हैं - 270 

13. बीजावस्था कहां गया है - 0 -7 सप्ताह 

14. बालक अपनी माँ को पहचानना प्रारम्भ कर देता है - 3 माह 

15 . बालक जमीन पर से अपनी पसंद की वस्तु को उठा लेता है, उस बालक की लगभग आयु क्या होगी - 8 - 9 माह 

16 . बालक के जन्म के समय शिशु के मस्तिक का भार होता है - 350 ग्राम 

17 . सीखने का आदर्श काल माना जाता है - शैशवावस्था

18 . कल्पना जगत मे विचरन होता है - शैशवावस्था व किशोरावस्था 

19 . बालक मुख्य मुख्य रंगों की पेहचान कर लेता है - 5 वर्ष से 

20 . मिथ्या परिपक़्वता का काल कहा जता है - बालयावस्था 

21 .  छोटे-छोटे वाक्यों को बोलना व तीन पहिये की साईकिल चलाना यह कार्य किस अवस्था में होता है -  शैशवावस्था 

22. कार्ल सी गैरिसन ने किस विधि का अध्ययन किया था - लम्बात्मक विधि का 

23. किस घटना की ओर बालक सर्वप्रथम आकर्षित होना प्रारम्भ करता है  - प्रकाश 

24. बालक -बालिकाओं को सर्वाधिक समायोजन करना पड़ता है - वयः संधिकाल 

25. बालक की जिज्ञासा को किया जाना चाहिए - शांत 

26 . भारत में बाल विकास की शुरुआत हुई - 1930 में 

27 . विकास प्रारम्भ होता है - गर्भावस्था में 

28 . बालिकाओं की लम्बाई किस अवस्था में बालकों से अधिक होती है - बाल्यावस्था में 

29. दिवास्वपन एवं भाषा के कूटकरण की अवस्था है - किशोरावस्था 

30. विकास के सम्बन्ध में सही कथन है - विकास सम्पूर्ण पक्षों में होने बाला परिवर्तन 

31. विकास केवल एक ओर से ना होकर चारों ओर से होता है। यह सिद्धांत बताया है - वर्तुलाकार 

32. जन्म के समय नवजात शिशु रोता है - वातावरण में परिवर्तन के कारण
 
33.शैशवावस्था के अंत में किस ग्रंथि के प्रभाव के कारण बालिकाएँ  अपने पिता के प्रति श्रद्धा भाव रखती हैं - इलेक्ट्रा 

34.क्लार्क और बीर्च ने नर चिम्पांजी के शरीर में - स्त्री हार्मोंस प्रवेश कराये। 

35. बालक का विकास वंशानुक्रम व वातावरण का है  - गुणनफल 

36. जीवन का सबसे कठिन काल - किशोरावस्था 

37. बालक के अस्थाई दांतों संख्या - 20 

38.अनुवांशिकता से तात्पर्य होता है - गुणसूत्र तथा जींस 

39.पुरुषों में सामान्य यौन गुणसूत्र होता है -  XY गुणसूत्र 

40. जन्म के समय बालक का भार होता है - 6 - 8 पौण्ड 

41.आनुवांशिकता के वास्तविक निर्धारक होते हैं  -  गुणसूत्र

42. बालक के विकास में महत्त्व है - वंशक्रम का एवं वातावरण का 

43. दिवास्वपन में विचरण करने की कामना अत्यंत प्रवल होती है - किशोरावस्था में 

44. सृजनशील बालकों का लक्षण है - जिज्ञासा
 
45. क्रोध संवेग के कारण उत्पन्न प्रवृत्ति है  - युयुत्सा 

46. बालक - बालिकाएं अपने जीवन में किसी अन्य को आदर्श के रूप में स्वीकार करते है किस अवस्था में -  किशोरावस्था में 

47. सामान आयु स्तर के बालक - बलिकाओं का बौद्धिक स्तर भिन्न भिन्न होता है , यह कथन किसका है  - हरलॉक 

48. बालक का समाजीकृत किस  तकनीक से निर्धारित है  - समाजमिति तकनीक से 

49. बालकों में सौंदर्यानुभूति विकसित करने का आधारभूत साधन - प्रकृति अवलोकन 

50. किशोरावस्था की प्रमुख विषेशता नहीं है - संग्रह की प्रवृति 

51. जन्म के समय बालक की स्मरण शक्ति होती है  - बहुत कम 

52. किस वैज्ञानिक ने माना है की उचित वातावरण से बुद्धि लब्धि में वृद्धि होती है - स्टीफन्स 

53.आत्मगौरव की भावना सर्वाधिक पायी जाती है - 13 - 19 वर्ष 

54.चरित्र निर्माण  में निम्नांकित कारक सहायक है - निर्देश 

55. बालक का शारीरिक ,मानसिक ,सामाजिक और संवेगात्मक विकास किस अवस्था में पूर्णता को प्राप्त होता है -  किशोरावस्था में 

56. किस आयु के बालक मे समय ,दिन ,दिनाँक एवं क्षेत्रफल सम्बंधित अवबोध का विकास हो जाता है - 9 वर्ष 

57. उत्तर बाल्यकाल का समय कब होता है - 6 - 12 वर्ष तक 

58. जिस आयु में बालक की मानसिक योग्यता का लगभगपूर्ण विकास हो जाता है - 14 वर्ष
  
59. बालक के सामाजिक विकास में सबसे महत्वपूर्ण कारक कौनसा है - वातावरण 

60. विकासात्मक बाल मनोविज्ञान का जनक किसे माना जाता है - जीन पियाजे को 

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यदि आप परीक्षा से सम्बन्धी कोई भी प्रश्न पूछना चाहे तो बेझिझक Comment Box में अपना प्रश्न पूछे। हम आपको अवश्य ही उसका उत्तर देंगे। धन्यवाद मित्रो ! 

दोस्तों, हमने इन Free PDFs में गागर में सागर भरने जैसे अति महत्वपूर्ण प्रश्नो को समाहित करने का पूरा प्रयत्न किया हैं। ये सभी PDFs आगामी परीक्षाओ में अचूक रामबाण सिद्ध होंगी । 


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अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी ज्ञान Space Technology knowledge (General Science समान्य विज्ञान)/अंतरिक्ष विज्ञान के महत्वपूर्ण प्रश्न /अंतरिक्ष विज्ञान से सम्बंधित 50 इम्पोर्टेन्ट प्रश्न उत्तर 

Space technology अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी ज्ञान Space Technology knowledge (General Science समान्य विज्ञान) 




1 . भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ विक्रम साराभाई के निधन के पश्चात "TERIS"का नाम बदलकर विक्रम साराभाई अंतरिक्ष रख दिया गया है। 


2. 15 अगस्त 1969 को  भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संघटन ISRO  स्थापना की गई। 


3. 1969 में परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान का गठन किया गया। 


4. भारत में 19 अप्रैल को पहला कृतिम उपगृह आर्यभट्ट  प्रेक्षेपित किया  पूर्णता स्वदेसी तकनीक से निर्मित था। 


5. अंतरिक्ष विभाग और अंतरिक्ष आयोग की स्थापना 1972 में की गई थी। 


6 . भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (PRL) Physical Research Laboratory की स्थापना डॉ विक्रम साराभाई ने सन 1947 में की थी। 


7 . अहमदाबाद (गुजरात ) में स्थित PRL मुख्य रूप से अंतरिक्ष विभाग द्वारा सहयोग प्राप्त एक स्वायत्त  संस्था है। 


8. SCL का फुल फॉर्म सेमि -कंडक्टर  लेबोरेटरी ( Semi-Conductor Laboratory) है। 


9. राष्ट्रीय वायुमंडलीय अनुसंधान प्रोयोगशाला (National Atmospheric Research Laboratory ) (NARL)  तिरुपति आंध्रप्रदेश के निकट गंदकी में स्थित NARL अंतरिक्ष विभाग द्वारा सहयोग प्राप्त एक स्वायत्त संस्था है। 


10. भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (Indian Institute Of Space Science And Technology ) (IIST) की स्थापना तिरुवनंतपुरम (केरल ) में 14 सितम्बर 2007 में की गई थी। 


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11. भारतीय अंतरिक्ष अनसंधान संघठन (Indian  Space Research Organisation ) (ISRO) की स्थापना सन 1969 में की गई थी,इसका मुख्यालय कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु मै है.


12. विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र ( Vikram Sarabhai Space Center ) ( VSSC) तिरुवंतपुरम (केरल) में VSSC (ISHRO) का प्रमुख केंद्र है। 


13. सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (Satish Dhawan Space Center ) (SHAR)  इसरो का प्रमुख प्रमोचन केंद्र है। यह आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा में स्थित है। 

  

14.सन 2002 में इसरो के पूर्व चेयरमेन सतीश धवन के मरणोपरांत श्रीहरिकोटा रेंज SHAR का नाम बदलकर सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र कर दिया गया। 


15. SAC (Space Application Center) अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र अहमदाबाद में है. 


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16 . राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र ( National Remote Sensing Center ) NRSC :- हैदराबाद मैं स्थित (NRSC ) 01 सितम्बर 2008 से इसरो के पूर्ण विकसित केंद्र  (Fall Fledge Center) के रूप मैं परिवर्तित कर दिया गया है. 


17. भारत के प्रथम कृतिम उपग्रह "आर्यभट्ट " का निर्माण सन 1975 में Laboratory For Electroption system (LEOS) में ही किया गया था।  


18. भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान (Indian Institute Of Remote Sensing) IIRS :-देहरादून में स्थित भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान (IIRS) अंतरिक्ष विभाग भारत सरकार की एक यूनिट है। 


19. उपग्रह प्रक्षेपण यान (Satellite Launch Vehicle )SLV भारत में उपग्रह प्रक्षेपण यान (SLV) प्रौद्योगिकी के विकास का कार्यक्रम सन 1979 में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के निर्देशन में आरम्भ हुआ। 


20. SLV-3 भारत का पहला प्रायोगिक उपग्रह प्रक्षेपण यान था। 


21. 18 जुलाई 1980 को सफलतापूर्वक शार केंद्र श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपक कर रोहिणी उपग्रह RS-1 को कक्षा  में स्थापित किया गया था। 


22. संवर्द्वित उपग्रह प्रक्षेपण यान (Augmented Satellite Launch Vehicle ) ASLV :- पहली विकासात्मक उड़ान  24 मार्च  1987 तथा दूसरी उड़ान जुलाई 1988 को सम्पन्न हुई  विफल रही। 20 मई 1992 को ASLV-D3 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित कर SROSS-C (106 KG.) को अंतरिक्ष कक्ष में स्थापित किया गया  था। 


23. 04 मई 1994 को प्रक्षेपित ASLV-D4  में SROSS-C2 को कक्षा में स्थापित किया गया था। 


24. ASLV -3 के प्रक्षेपण के बाद भारत में संवर्द्वित  उपग्रह प्रक्षेपण यान विकसित करने की कोशिश प्रारम्भ की। 


25 . ध्रूवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (Polar Satellite Launch Vehicle ) PSLV :- PSLV का पहला प्रयाश सन 1993 में PSLV -D1 के रूप में हुआ ,लेकिन चौथे चरण में खराबी आ जाने के कारण ये विफल रहा। 


26.  सन 1994 में PSLV -D2 द्वारा IRS-D2 को सफलतापूर्वक ध्रूवीय कक्षा में स्थापित किया गया। 


27. PSLV 1750 KG भार तक के उपग्रह को 600 KM की ऊंचाई पर सूर्य तुल्यकालिक ध्रूवीय कक्षा में प्रक्षेपित करने मे सक्षम है.


28. भू-तुल्यकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle ) GSLV :- GSLV भारत द्वारा निर्मित तीन चरणों बाला ऐंसा प्रक्षेपण यान है। जिसका उद्देश्य भारी संचार उपग्रहों को GTO में स्थापित करना हैं। 


29 . सन 1963 में तिरुवंतपुरम के निकट थुंबा से पहले साउंडिंग रॉकेट "नाइक अपाचे "का प्रक्षेपण किया था। जो अमेरिका द्वारा निर्मित था। 


30. भारत का प्रथम परीक्षापी रॉकेट 75 किलोमीटर व्यास से युक्त RH -75 था। 


31. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान (ISRO ) के वैज्ञानिक द्वारा GSLV -मार्क-३  क़ो (FAT -BOY ) उपनाम दिया गया है  क्यूंकि इसका वजन 640 टन है। 


32. कार्टोसैट उपग्रह को "आई इन द स्काई "के नाम से जाना है। 


 33. इसरो ने 22 अक्टूबर 2008 को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC) से PSLV-C2 के जरिये चंद्रयान -1 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया। 


34. चंद्रयान -1 भारत का प्रथम अंतरिक्ष चन्द्र मिशन तथा विश्व का 68 वा चंद्र मिशन अभियान था। 


35. चंद्रयान -1 को 08 नवम्बर 2008 में चन्द्रमा की कक्षा में सफलतापूर्वक पहुंचाया गया था और १८ नवम्बर 2008 को  Moon Impect Probe (MIP) को सफलतापूर्वक अलग किया गया। मून इम्पैक्ट प्रोब ने भारतीय राष्ट्रीय झंडे तिरंगे की चन्द्रमा पर उपस्थिति दर्ज करायी। 


36. चन्द्रमा क्र दक्षिणी ध्रुव पर स्थित गहरे गड्डे शैकल्टन क्रेटर में (MIP) मून इम्पेक्ट प्रोब को उतारा गया था। 


37. यह मिशन 02 बर्षों के लिए था ,लेकिन २९ अगस्त 2009 को रेडयो संपर्क टूट जाने के कारण यह 312 दिनों में ही समाप्त हो गया। 


38. चंद्रयान परियोजना को घोषणा 15  अगस्त 2003 में लालकिले की प्राचीर से अपने सम्बोधन में तत्कालीन प्रधानमंत्री "माननीय प्रधानमंत्री अटल विहारी बाजपयी जी ने की थी। 


39. चंद्रयान -1 भारत का पहला तथा विश्व का 68 वा चंद्र अभियान था। सोवियत संघ द्वारा भेजा गया लूना -02 प्रथम अंतरिक्ष यान था। जिसने 14  सितम्बर 1959 को चन्द्रमा की सतह को छुआ था। 


40. चंद्रयान-01 पर 386 करोड़ की लगत आयी थी। 


41 . शनि की परिक्रमा कर रहे  नाशा के केनिसि अंतरिक्ष यान ने और चंद्रयान-01  ने चन्द्रमा के सतह पर पानी के संकेत प्राप्त किये हैं.


42. जियो -सिन्क्रोनस सॅटॅलाइट लांच व्हीकल (GSLV MK-3 M1 ) अर्थात "बाहुवली "द्वारा श्रीहरिकोटा स्थित SDSC से 22 जुलाई 2019 को चंद्रयान -2 का सफल प्रक्षेपण किया गया यह चंद्रयान -1 उन्नत संस्करण है। 


43. चंद्रयान-2 में प्रयुक्त लैडर का नाम भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान के जनक विक्रम साराभाई के नाम पर विक्रम रखा गया है। 


44. चंद्रयान -2 पर 978 करोड़ खर्च किये गए थे। जिसमे 603 करोड़ अंतरिक्ष यान पर तथा 375 करोड़ GSLV -MK-3 पर। 


45.स्वयं  (SWAYAM) इसरो के तकनीकी मार्गदशन एवं सहायता के तहत कॉलेज ऑफ़ इंजिनीयरिंग पुणे के विद्यार्थियों द्वारा विकशित उपग्रह है इस उपग्रह का उद्देश्य Ham Community को पॉइंट टू पॉइंट सन्देश प्रेषण सुविधा उपलव्ध कराना है। 


46. सत्यभामासैट (SATHYABHAMASAT) विश्वविद्यालय चेन्नई का 1.5 किलोग्राम वाला सत्यभामा सैट ग्रीनहाउस गैसों के आंकड़े एकत्रित करेगा। 


47. जुगनू (JUGNU) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपूर द्वारा निर्मित 3 किलोग्राम भार बाला नैनो उपग्रह है। 


48. यूथसैट (YOUTHSAT) 92 किलोग्राम वजन बाला YOUTHSAT भारतीय लघु उपग्रह शृंखला में दूसरा है।

 

49. अनुसैट (ANUSAT ) अन्ना विश्वविद्यालय द्वारा निर्मित उपग्रह है। 


50. राकेश शर्मा अंतरिक्ष की यात्रा करने बाले प्रथम भारतीय थे। उन्होंने 03 अप्रैल 1984 को अंतरिक्ष में कदम रखा था। 


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 Important Scientific Laws and Theories

1. आरकिमेड्स प्रिंसिपल (सिद्धांत) - यह बताता है कि जब एक बॉडी को पूरी तरह या आंशिक रूप से एक तरल में डुबोया जाता है, वह ऊपर की ओर थ्रस्ट (जोर) का अनुभव करती है जो इसके द्वारा हटाये गए तरल के वज़न के बराबर होता है। इसलिए, शरीर को अपने वजन का एक हिस्सा जैसे खो गया हो लगता है। वजन में यह कमी बॉडी द्वारा हटाये गए तरल के वजन के बराबर होती है।

2. ऑफबौ प्रिंसिपल - यह बताता है कि एक अनउतेजित परमाणु में, इलेक्ट्रॉनस उनके लिए उपलब्ध सबसे कम ऊर्जा वाले ऑर्बिटल में रहते है।

3. आवोगाड्रो लॉ - यह बताता है कि तापमान और प्रेशर की सामान परिस्थितियों में सभी गैसों की बराबर मात्रा में, मॉलिक्यूल्स की बराबर संख्या होती है।

4. ब्राउनियन मोशन - यह छोटे ठोस कणों द्वारा प्रदर्शित किया जाने वाला टेढ़ा-मेढ़ा, अनियमित मोशन है जो उन्हें तरल या गैस में डालने पर तरल या गैस के मॉलिक्यूल द्वारा अनियमित बमबारी की वजह से होता है।

5. बरनॉली प्रिंसिपल -
यह बताता है कि जब बहता हुआ तरल पदार्थ, तरल या गैस, की गति बढ़ जाती है, तो तरल पदार्थ के भीतर का प्रेशर कम हो जाता है। एक हवाई जहाज के पंख पर एरोडायनेमिक (वायुगतिकीय) लिफ्ट के हिस्से को भी इस सिद्धांत से समझाया जा सकता है।

6. बोयल्स लॉ - यह बताता है कि यदि तापमान स्थिर रहे, तो दिए गए गैस के मास का वॉल्यूम गैस के प्रेशर के विपरीत रूप से आनुपातिक होता है। इसलिए, पी.वी = के (स्थिर) जहाँ पी = प्रेशर और वी = वॉल्यूम हैं।

7. चार्ल्स लॉ - यह बताता है कि यदि प्रेशर स्थिर रहे, तो दिए गए गैस के मास का वॉल्यूम, तापमान में प्रत्येक डिग्री सेल्सियस की वृद्धि या गिरावट के साथ, 0 डिग्री सेल्सियस पर उसके वॉल्यूम के 1/273 हिस्से से बढ़ता या घटता है।

8. कोलम्ब लॉ - यह बताता है कि दो चार्जों के बीच का आकर्षण या प्रतिकर्षण का फ़ोर्स, दोनों चार्जों पर चार्ज की मात्रा के आनुपातिक होता है और उनके बीच की दूरी के वर्ग का विपरीत रूप से आनुपातिक होता है।

9. हीजनबर्ग प्रिंसिपल (अनिश्चितता का सिद्धांत) -
एक कण जैसे कि इलेक्ट्रान के दोनों, स्थिति और मोमेंटम को एक साथ सटीकता से निर्धारित कर पाना असंभव होता है।

10. गे-लूस्साकस लॉ ऑफ़ कम्बाइनिंग वॉल्यूम्स - गैसें आपस में वॉल्यूम में उनके साथ प्रतिक्रिया करती हैं जो एक दूसरे के साथ और एक दूसरे के प्रोडक्ट के वॉल्यूम के साथ भी सरल होल नंबर रेश्यो बनाती हों, यदि गैसीय है तो - जब वॉल्यूम तापमान और प्रेशर की सामान परिस्थितियों में मापी जाए।

11. ग्राहम्स लॉ ऑफ़ डिफ्यूजन - यह बताता है कि गैसों के प्रसार का दर तापमान और प्रेशर की सामान परिस्थितियों के अन्तर्गत उनकी डेंसिटी के स्क्वायर रूट के विपरीत आनुपातिक होता है।

12. केप्लर्स लॉ - प्रत्येक ग्रह सूर्य के चारों ओर एक अंडाकार ऑर्बिट में सूर्य को एक केंद्र बनाकर घूमते हैं। सीधी रेखा जो सूर्य और ग्रह को जोड़ती है वह बराबर अंतराल में बराबर के क्षेत्रों को कवर करती है। ग्रहों के ऑर्बिटल पीरियड का दुगना सूर्य से उनकी औसत दूरी के क्यूब के आनुपातिक होता है।

13. लॉ ऑफ़ फ्लोटेशन - एक बॉडी को तैराने के लिए, निम्न शर्तों को पूरा करना चाहिए:
बॉडी के वजन को हटाये गए पानी के वजन के बराबर होना चाहिए।
बॉडी का और हटाये गए तरल का गुरुत्वाकर्षण केंद्र एक ही सीधी रेखा में होना चाहिए।

14. लॉ ऑफ़ कंज़र्वेशन ऑफ़ एनर्जी - यह कहा गया है कि ऊर्जा को ना तो बनाया जा सकता है और ना ही नष्ट किया जा सकता है, लेकिन इसे एक रूप से दूसरे में तब्दील किया जा सकता है। चूंकि ऊर्जा को ना तो बनाया जा सकता है और ना ही नष्ट किया जा सकता है, ऊर्जा की मात्रा जो ब्रह्मांड में मौजूद है हमेशा स्थिर रहती है।

15. न्यूटन्स फर्स्ट लॉ ऑफ़ मोशन - एक रुकी हुई वस्तु रुकी हुई ही रहती है, और एक चलती हुई वस्तु चलती हुई ही रहती है, सीधी रेखा में उसी दिशा और गति के साथ, जब तक उसपर कोई बाहरी फ़ोर्स काम ना करे।

16. न्यूटन्स सेकंड लॉ ऑफ़ मोशन - एक बॉडी के मोमेंटम के परिवर्तन का दर लगाए जाने वाले फ़ोर्स के आनुपातिक होता है और उसी दिशा में होता है जिसमें फ़ोर्स लगाया जा रहा होता है।

17. न्यूटन्स थर्ड लॉ ऑफ़ मोशन - हर क्रिया के लिए बराबर और विपरीत प्रतिक्रिया होती है।

18. न्यूटन्स लॉ ऑफ़ ग्रैविटेशन - मैटर के सभी कण एक दूसरे को जिस फ़ोर्स से आकर्षित करते हैं वह उनके मॉसिस के गुणा के आनुपातिक होता है और उनके बीच की दूरी के दुगने का विपरीत आनुपातिक होता है।

19. ओम्स लॉ - यह बताता है कि एक कंडक्टर के माध्यम से दो पॉइंट के बीच से गुजरने वाला करंट, उन दो पॉइंट के पोटेंशियल डिफरेंस के आनुपातिक होता है, लेकिन केवल तब जब कंडक्टर की फिजिकल स्थिति और तापमान आदि में कोई परिवर्तन ना आये।

20. पाउली एक्सक्लूजन प्रिंसिपल - यह बताता है कि एक एटम या मॉलिक्यूल में कोई भी दो इलेक्ट्रान के पास एक सी ही क्वांटम संख्या का सेट नहीं होता है।

21. रमन इफ़ेक्ट - यह वेवलेंथ में परिवर्तन होता है जो तब होता है जब एक पारदर्शी माध्यम में एटम्स या मॉलिक्यूल्स द्वारा प्रकाश फ़ैल जाता है।

22. टिण्डल इफ़ेक्ट - गैस या तरल पदार्थ में निलंबित बहुत छोटे कणों द्वारा प्रकाश का फैलना ।


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 मानव रक्‍त पर आधारित जीव विज्ञान 

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➤मानव रक्‍त


• मानव शरीर में रक्‍त की मात्रा शरीर के कुल भार का 7% है।

• यह क्षारीय विलयन है जिसका pH मान 7.4 होता है।

• मानव शरीर में औसतन 5-6 लीटर रक्‍त पाया जाता है।


रक्‍त के दो भाग होते हैं:


(1) प्‍लाज्‍मा,

(2) रक्‍त कणिकाएं


(1) प्‍लाज्‍मा


• यह रक्‍त का तरल भाग है। रक्‍त का 60% भाग प्‍लाज्‍मा होता है। इसका 90% भाग जल, 7% प्रोटीन, 0.9% लवण और 0.1% ग्‍लूकोज होता है। शेष अन्‍य पदार्थ काफी कम मात्रा में उपस्थित होते हैं।


• प्‍लाज्‍मा के कार्य – शरीर से पचे भोजन, हार्मोन, उत्‍सर्जी पदार्थों आदि का परिवहन प्‍लाज्‍मा के माध्‍यम से होता है।


• सेरम – प्‍लाज्‍मा से फाइब्रिनोजन एवं प्रोटीन को निकाल देने पर शेष बचे भाग को सेरम कहते हैं।


(2) रक्‍त कणिकाएं (रक्‍त का 40% भाग)


इसको तीन भागों में बांटा जाता है:


1. लाल रक्‍त कणिकाएं (आरबीसी)


• इसमें नाभिक का अभाव होता है। अपवाद – ऊँट और लामा।


• आरबीसी का निर्माण अस्थि मज्‍जा में होता है। (भ्रूण अवस्‍था में इसका निर्माण यकृत में होता है।)


• इसका जीवनकाल 20 से 120 दिन होता है।


• इसका विनाश प्‍लीहा में होता है। इसलिये प्‍लीहा को आरबीसी की कब्रगाह कहते हैं।


• इसमें हीमोग्‍लोबिन पाया जाता है, जिसमें लौह युक्‍त हीम नामक यौगिक पाया जाता है, इसके कारण रक्‍त का रंग लाल होता है।


• आरबीसी का मुख्‍य कार्य सभी कोशिकाओं को ऑक्‍सीजन पहुँचाकर उससे कार्बनडाईआक्‍साइड वापस लाना होता है।


• एनिमिया रोग का कारण हीमोग्‍लोबिन की कमी है।


• सोते समय आरबीसी में 5% की कमी हो जाती है और 4200 मीटर की ऊँचाई पर रहने वाले लोगो के आरबीसी में 30% की वृद्धि हो जाती है।


2. श्‍वेत रक्‍त कणिकाएं (डबल्‍यूबीसी) अथवा ल्‍यूसोसाइट्स


• इसका निर्माण अस्थि मज्‍जा, लिम्‍फ नोड और कभी-कभी यकृत और प्‍ली‍हा में होता है।


• इसका जीवन काल 5 से 20 दिन होता है।


• श्‍वेत रक्‍त कणिकाओं में नाभिक पाया जाता है।


• इसका मुख्‍य कार्य शरीर की रोगो से रक्षा करना है।


• आरबीसी और डबल्‍यूबीसी का अनुपात 600:1 है।


3. रक्‍त बिम्‍बाणु अथवा थ्रोम्‍बोसाइट्स:


• यह केवल मानव एवं अन्‍य स्‍तनधारियों के रक्‍त में पाया जाता है।


• इसमें नाभिक का अभाव होता है।


• इसका निर्माण अस्थि मज्‍जा में होता है।


• इसका जीवनकाल 3 से 5 दिन का होता है।


• इसकी मृत्‍यु प्‍लीहा में होती है।


• इसका मुख्‍य कार्य रक्‍त का थक्‍का बनने में मदद करना है।


➤रक्‍त का कार्य:


• शरीर के तापमान को नियंत्रित करना और शरीर की रोगों से रक्षा करना आदि।


• ऑक्‍सीजन, कार्बनडाई आक्‍साइड, पचे भोजन का परिवहन, हार्मोन का संवहन आदि।


• शरीर के विभिन्‍न भागों के मध्‍य समन्‍वय स्‍थापित करना।


➤रक्‍त का थक्‍का बनाना:


• क्लॉटिंग के दौरान निम्नलिखित प्रतिक्रियाएं होती हैं-


(ए) थ्रोम्बोप्लास्टिन + प्रोथ्रोबिन + कैल्शियम = थ्रोम्बिन


(बी) थ्रोम्बिन + फाइब्रिनोजन = फाइब्रिन


(सी) फाइब्रिन + रक्त काष्ठक = थक्का


• विटामिन K रक्त के थक्के में मददगार है।


मानव रक्‍त समूह


• रक्‍तसमूह की खोज कार्ल लैनस्‍टीनर ने 1900 में की थी।


• इसके लिये उन्‍हें वर्ष 1930 में नोबल पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया गया था।


• मानव रक्‍त समूहों में विभिन्‍नता का मुख्‍य कारण ग्‍लाइको प्रोटीन है जो लाल रक्‍त कणिकाओं में पाया जाता है। इसे एण्‍टीजन कहते हैं। एण्‍टीजन दो प्रकार के होते हैं – एण्‍टीजन A और एण्‍टीजन B


• एण्‍टीजन अथवा ग्‍लाइको प्रोटीन की उपस्थिति के आधार पर, मानव में चार रक्‍त समूह पाये जाते हैं:


• जिसमें एण्‍टीजन A पाया जाता है – रक्‍त समूह A


• जिसमें एण्‍टीजन B पाया जाता है – रक्‍त समूह B


• जिसमें एण्‍टीजन A और B पाया जाता है – रक्‍त समूह AB


• जिसमें कोई भी एण्‍टीजन नहीं पाया जाता है – रक्‍त समूह O


• रक्‍त के प्‍लाज्‍मा में एक विपरीत प्रकार की प्रोटीन पायी जाती है। इसे एण्‍टीबॉडी कहते हैं। यह भी दो प्रकार की होती है – एण्‍टीबॉडी a और एण्‍टीबॉडी b.


• रक्‍त समूह O को सर्वदाता समूह कहा जाता है क्‍योंकि इसमें कोई भी एण्‍टीजन नहीं होता है।


• रक्‍त समूह AB को सर्वग्राही समूह कहते हैं क्‍योंकि इसमें कोई भी एण्‍टीबॉडी नहीं होता है।


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